Monday, June 30, 2008

24th june evening poem

कल तक मेरे पास तुम
ख़ुशी से खुद ही आ जाते थे
और हलके से आकर के
मेरे पास खड़े हो जाते थे
और वो प्यारे से शब्द
मेरे कानो मे कह जाते थे
और मेरे इस दिल को भी
तुम ही सम्हालते थे
कल तक गैर थे पर अपने से लगे
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