Monday, June 30, 2008

13th june closing poem

जो मैं ना रहू आँखों मे आंसू ना भरना
इस दिल पे हैं बस नाम तुम्हारा ये यकीं रखना
मैं हूँ तेरे साथ तेरी हर बात का हमराज़
दूर होकर भी एक दुसरे से ना दूर हैं हम
गुज़रता हर पल हर लम्हा तेरे अक्स के करीब
साँसों की ये डोर तेरी साँसों के संग जोड़ दे
खुदा के बाद दिल से करू तेरी ही पूजा
वक़्त की गर्मी जो झुलसाने लगे वजूद
तो बस मेरी चाहत की नमी को करना महसूस
जो सर्द हवा ज़माने की आने लगे पास
समझ लेना कि मैं हूँ तेरे आस पास
ना रोना ना उदास होना
मेरे दिल का कोना क्या ये दिल कमबख्त ही रहेगा तेरे सिर्फ तेरे पास

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