Monday, June 30, 2008

23rd june evening poem

कुछ गुस्सा कुछ नखरा कुछ इल्तजा भी हैं आपकी
हमसे रूठना हमे सताना और तडपाना अदा हैं आपकी
हर बात पे हँसना हर बात पे मुस्कुराना
कभी बात बात पर मुंह फुलाना
गुस्सा ऐसा कि फूलो को भी मानते मानते पसीना आ जाए
कभी बड़ी से बड़ी गलती हंस कर माफ़ कर देना
कभी छोटी सी गलती को भी तु बड़ा बताये
तेरी बातो से दिल का धडकना
तेरी साँसों से मेरी साँसों का चलना
कभी मेरे कॉल करने पे तेरा फ़ोन कट करना
अपनी शर्मीली नजरो से सुर्ख होठो से
मेरे दिए फूलों को चूमना
क्या क्या करे दिल बयान से अफ़साने आपके
आप इश्क हैं आप मोहब्बत हैं
ना तरसाओ यूँ हमे साथ के लिए आपके

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