दिल मे अगर खामोश बातो के फलसफे ना होते
हम उनकी मोहबात मे यूँ पागल ना होते
बैठते हम भी पल दो पल के लिए उनके पहलु मे
अगर नसीब अपने इस कदर ख़राब ना होते
सुन लेते वो जो मेरी आखिरी गुजारिश को
घर के बाहर उनके दिल के इतने बीमार ना होते
पढ़ लेते जो वो मेरे चेहरे की हर बात को
ज़िन्दगी मे फिर मेरी इतने सवाल ना होते
छुपा लेते जो वो मेरी मोहब्बत को
ज़माने के लिए फिर हम खुली किताब ना होते
आ जाते मेरे एक बार बुलाने पर वो जो
हमारी ज़िन्दगी मे इंतज़ार के मायने ना होते
चलो कुछ काम जान बुझ कर करती हैं वो
शायद हमारी तरह हमे थोडा प्यार करती हैं वो
ये थोडा प्यार ही बहुत सारी ज़िन्दगी के लिए
बिना मांगे ही दे दे दीवाना उसकी ख़ुशी के लिए
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