Monday, June 30, 2008

14th june opening poem

कभी दर्द से तो कभी खुशी से मिलवाती हैं जिंदगी
कभी आंसू पी जाती हैं तो कभी अपने हर ज़ख्म से एक नई बात सिखाती हैं जिंदगी
कभी हर साँस बोझ लगती हैं
कभी दुनिया मे सिर्फ़ तू ही अपनी लगती हैं
कभी किसी महल के जैसी
तो कभी खंडहर सी नज़र आती हैं
कभी अमावस की तरह ये सारी रात जगाती हैं
तू हैं मेरी इन हालातो से जुठ्लाती हैं जिंदगी
कभी दर्द से कराहती तो कभी मेरे कंधे थपथपाती हैं जिंदगी
कभी अपने साथ नही देते तो कभी पराये जीने नही देते
उम्र के हर पड़ाव पे जाने कितनी ठोकरे खिलाती हैं ये
पर हर ठोकर पर बहुत हिम्मत दिलाती हैं जिंदगी
कर लो दीदार सुनहरे कल का बस
जिंदगी से ढूंढ़ लो बस एक डगर
चाहे कच्ची चाहे पक्की
पर जब पक्का होगा इरादा दिल का
तो देखना कितना आसान होगा ये सफर
जिंदगी को क्या सिखाती हैं जिंदगी

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