Monday, June 30, 2008

30th june closing poem

आज सुबह हुई बारिश
हुआ क्या ये क्या बताऊ तुम्हे
मैंने कुछ पन्नो पे तेरे नाम लिखे थे
कौन मिटा गया ये क्या बताऊ तुम्हे
फूल कुछ गीले थे कुछ साँस लेते थे
फूल कुछ गीले थे कुछ साँस लेते थे
उन फूलो से उनकी साँसे उनकी खुशबु
कौन चुरा ले गया क्या बताऊ तुझको
एक रोज़ एक साया सीढियों से चलकर
मेरे पास आकर बैठा था
उस साए ने किसका नाम मेरे कानो मे गुनगुनाया
क्या कहू क्या बताऊ तुझको
कभी बारिश के होने के पहले
बारिश के होने का मतलब पता लग जाता हैं
रोज़ एक शक्स मेरे पास से गुज़र जाता हैं
मगर पता नही क्यों मुझे नज़र नही आता हैं
मैंने तमाम दोस्तों मे जाकर जिक्र तेरा कर दिया
कौन सा दोस्त चुप हो गया तेरा नाम सुनाने के बाद
ये लिस्ट बड़ी लम्बी हैं
किस किस का नाम गिनाऊ तुझको
अक्सर ऐसा होता हैं कि तेरे पास जब मैं आकर बैठता हूँ
करने को होती हैं बहुत सी बातें
कभी कुछ कह पाता हूँ
कौनसी बात छुपा जाता हूँ क्या बताऊ तुझको
ओस की कुछ बूंद गिरी थी कहीं किसी पहलु मे जाकर
बना डाली उसने एक तस्वीर पुरानी
मेरी उस पुरानी तस्वीर को चुराकर ना जाने कौन ले गया
ये क्या बताऊ तुझको

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