इस बदलते मौसम मे मौसम से मेरा ज़िक्र न करना
इस बदलते मौसम मे मौसम से मेरा ज़िक्र न करना
घर जाओ अगर उसके कभी तो उससे मेरा ज़िक्र न करना
कांटो के बीच रहा हूँ मैं सदा से
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
की कांटो के बीच रहा हूँ मैं सदा से
देखना फूलों को ज़रूर से
पर किसी फूल से मेरा ज़िक्र न करना
शयद ये अंधेरे ही अब मुझे राह दिखायेंगे
शायद ये अंधेरे अब मुझे राह दिखायेंगे
बस चाँद सितारों से मेरा ज़िक्र न करना
वो मेरे प्यार को ग़लत नाम न दे दे
(ऐसा होता होगा न आपके साथ भी )
की वो मेरे प्यार को ग़लत नाम न दे दे कहीं
बातें करना दुनिया की उससे पर मेरी बात का ज़िक्र न करना
शायद वो मेरे हाल पर एक बार रो दे
शायद वो मेरे हाल पे एक बार रो दे
बस बारिश के मौसम मे उससे कभी मेरा ज़िक्र न करना
मुझे तो आदत हैं अकेला अकेला सा रहने की
पर उससे कभी किसी अकेलेपन का ज़िक्र न करना
ए हवाओ वो शख्स मिले तुम्हे कभी
तो ज़रूर छूकर आना कभी
छूने पे एक बार आते आते मेरा ज़िक्र ज़रूर करना
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