वो होते कोई कली तो हम खिल जाते
और हम उनकी महक बन जाते
वो होते कोई साहिल तो हम किनारे पे अपनी एक छोटी सी नाव लगते
वो होते अगर चाँद तो पूनम के दिन हम भी अपने घर की बत्ती बुझाते
वो होते अगर पेड़ तो रोज़ धुप मे काम करते
जब थक जाते तो उनकी छाँव मे सो जाते
वो होते अगर ये सब तो हम क्या क्या करते
न साँस लेते न काम करते बस हर बात पे उसी को तकते
मगर ये सब तो हैं बस बातें
अगर हम ही न होते तो इन बातों की बातें फिर कौन निभाते
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