सिलसिले ये भी अजीब होते हैं
गम उनको भी नसीब होते हैं
जो लोग खुशनसीब होते हैं
बस होता हैं कोई एक ही अपना
बाकी सब तो रकीब होते हैं
सभी को जिंदगी मे बस दौलत की ख्वाइश हैं
न जाने क्यूँ लोग इतने गरीब होते हैं
जख्म हमको जो अदा करते हैं
वो ही हमारे हबीब होते हैं
दिलो मे दर्द छुपाने वाले
दर्द भी तो बड़े अजीब होते हैं
मौसमो का इन्तेज़ार करते रहते हैं हम बार बार
पर मौसम भी कहाँ हमारी तरह खुशनसीब होते हैं
आंसुओं से दोस्ती करते हैं
हम रात रात जागते हैं
पर क्या करे ये सिलसिले भी अजीब होते हैं
No comments:
Post a Comment