आज चाँदनी भी मेरी तरह जाग रही हैं
पलकों पर सितारों को लिए रात खड़ी हैं
ये बात ज़रूरी हैं की वो सूरत के भले
दिल के बुरे न हो
चाँदनी के चाहने वाले तारो से बड़े न हो
गजलो की जुल्फों ने बस उसी से संवरना सीखा
हमने जिन राहो पर देखा सिर्फ़ उसी को देखा
तारो को जिंदगी समझ बैठा था अनजाने मे
इतनी समझ कहाँ थी तेरे दीवाने मे
जाने किस बात की उनको शिकायत मुझसे
नाम तक नही बताया मैंने चाँदनी को अपने किसी फ़साने मे
आज से हमने भी पीना छोड़ दिया
जब देखा नशा ज्यादा हैं तेरी आंखों के पैमाने मे
कोई तो आवाज़ देगा हमे भी वीराने मे
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