जब तनहाई होगी बुझ जायेंगे जब चिराग उम्मीदों के
उससे मुलाक़ात तो होगी पर सिर्फ़ तेरी याद होगी
वक्त रुखसत का जब तेरे होगा
तेरे जाने से पहले मेरा जनाजा सजा होगा
अजीब लगता हैं जब मैं जाने कि बात करता हूँ
पर क्या करू तेरी यादों से ही मेरा दिल चलता हैं
अश्क तेरे अपने अश्को मे छुपा लू
तु उदास हो जाए कभी तो तेरी उदासी को अपना दोस्त बना लू
उदासी से उसकी सारी उदासी चुरा लू
मैं तेरे आंसुओ को अपनी पलकों मे बसा लू
तु बस अपनी पलके झपकाए कभी
और पलके झपकते ही सारी दुनिया को तेरे सामने झुका दू
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