Monday, July 14, 2008

8th july opening poem

जिंदगी की राह मे आगे चलते जाना हर पल
मुड कर न देख वो बीते हुए पल
जो नही था तेरा तुझे मिला नही
जो मिलेगा उसके साथ गुजार जिंदगी का हर एक पल
हम इस कदर तुम पर मर मिटेंगे
कि तुम जहाँ देखोगे तुम्हे हम ही दिखेंगे
रखना इस दिल मे तुम मेरे प्यार की याद
और रखना मेरी जुबान से निकली हर बात को याद
मेरी दीवानगी की कोई हद नही
तेरी सूरत के सिवा (अंह !! ) तेरी सीरत के सिवा कुछ और याद नही
मैं हूँ रूह तेरी
तेरे सिवा मुझ पर किसी का हक नही
जबसे देखा हैं तेरी आंखों मे झाँक कर
कोई भी आइना अच्छा लगता नही
तेरी मोहब्बत मे ऐसे हुए दीवाने कि
इन आंखों कोई कोई और जचता नही

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