कल कुछ बातो ने रात भर जगाया
और मैं रात भर न सो पाया
कुछ बातें भूली हुई
कुछ खयालो मे लिपटी हुई
बरसात के मौसम मे मेरी ये आँखें
न जाने क्यों भीगी हुई
कुछ पल सोचा कुछ पल मुस्कुराया
न जाने कमबख्त एक हवा का ठंडा झोंका
कहाँ से मेरे पास से गुज़र आया
मैं अंगडाई लेकर तेरी खिड़की की तरफ़ आना चाहता था
पर वो हवा का झोंका मुझसे पहले तेरे पास मे आया
तुम अपने हाथ से रुमाल सहलाते रहे
और इस दीवाने को तेरे उस रुमाल पे प्यार आया
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