अब हम क्या लिखे कागज़ पर
जब बातें तुम सारी आंखों से करती हो
कागज़ का टुकडा तो फिर भी हर कोई पढ़ लेता हैं
पर नज़रो की ये बात जब तू दिल से पढ़ती हैं
अब हम क्या लिखे उस कागज़ पर
मैं हर रोज़ मेरे हमसफ़र का नाम उस पर लिखता जाता हूँ
और वो कोरा कागज़ कहता हैं कि
हाँ शायद मैं भी मेरे महबूब को बहुत याद आता हूँ
चलो इसी बहाने सही कागज़ कलम से दोस्ती हो गई
वरना अब मैं कहाँ दोस्त बनाता हूँ
कलम जब भी चलती हैं
तेरा नाम सबसे पहले लिखती हैं
इसीलिए तो अब मैं स्कूल से निकला जाता हूँ
हर रंग तुझ पर रंग लगता हैं
पर हाय वो दुपट्टा न पूछ सिर्फ़ तुझ पर ही क्यों जंचता हैं
तेरा देखना छूना छुप कर मेरे पास आ जाना
तुझे दुनिया की तमाम लड़कियों से बहुत अलग करता हैं
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