Sunday, July 6, 2008

3rd july evening poem

रोशनी के फूल सजाये हमने तुम्हारी मोहब्बत मे
तुम्हारे चेहरे को चाँद समझ के देखा हमने हर रात मे
तन्हाई से हम अपनी जिंदगी मे बहुत लड़े हैं
पर अब जिंदगी गुज़रना मुश्किल हैं तू अगर न हो साथ मे
चला तो जाता हूँ रोज़ मैं यहाँ से
चला जाता हूँ मैं स्टूडियो से दूर कुछ देर के लिए
पर जाता नही क्यों तू मेरी यादों से
हर तस्वीर क्यों तुझ सी बन जाती हैं
नज़र कोई आता नही
पता नही तू नज़र क्यों आती हैं

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