तेरी खामोश आँखें करती क्या ऐसी बात हैं
जवाब भी हमी देते हैं और ग़ज़ल भी हमी गुनगुनाते हैं
इस तरह की खामोश बातो से वो पल पल चुप रहकर हमारा दिल चुराते हैं
और देखिये दिल चुराने के बाद वो पास से हंसकर चले जाते हैं
मेरी बातो की तरह काश मैं तुझे कहीं छुपा लू
इन आंखों मे भर लू या अपने घर का नाम चक्षु भवन बना लू
देखो ये ज़माना इश्क मे कितना तड़पाता हैं
जितना तड़पाता हैं कोई प्यार करने वाला उतना याद आता हैं
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