मेरे हमसफ़र तुझे क्या ख़बर
मेरे हमसफ़र तुझे क्या ख़बर
मैं इस नगर तू किस नगर
ये जो वक्त हैं किसी धुप छाँव सा हैं
धुप हमेशा मेरे नगर
कभी छाँव तेरे नगर
तेरी आँख से जो गिरते आंसू
उन्हें पोंछ लेते हम
गर होती तू इस नगर
पर उन आंसुओ की किस्मत अच्छी
कमबख्त वो बहते हैं तेरी आँख से जब होती तू तेरे नगर
तेरी साँसों की गर्मी सम्हालते सम्हालते
मेरे हाथ बर्फ से हो गए
पर न तुझे ख़बर न मुझे ख़बर
वो जो रास्तो को यकीं था
की एक दिन वो मेरे नगर आयेंगे
मगर वो सब रास्तेअब जाते हैं तेरे नगर
मैं अकेला अपने नगर मैं रहता हूँ
मुझे सुनने वाले हर शक्स को बेंतेहा प्यार करता हूँ
पर मोहब्बत जिससे की ना जाने वो कहाँ चली गई
रहती हैं वो किस नगर किस नगर किस नगर
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