आइना अगर मैं बार बार देखू तो क्या ग़लत हैं
आइना मैं अगर बार बार देखू तो क्या ग़लत हैं
अगर मैं तेरे ख्यालो मे रहना चाहू तो क्या ग़लत हैं
तेरा घर माना थोड़ा दूर मेरे घर से
मैं तेरे घर की गली से बिना काम ही गुजरू तो क्या ग़लत हैं
तुम्हे आईने से इतनी मोहब्बत क्यों हैं
तेरी वो जुल्फे मुझे देख कर बिखरने लगती हैं
यार वो इतनी गुस्ताख क्यों हैं
समझता हूँ मैं तेरे ख्यालो की बातो को
फ़िर हर मौसम मे मेरे ख्याल अगर तेरी सोच के साथ बदले तो ग़लत क्यों हैं
ख्याल बदले या बदले मेरी हर बात
पर हर बात मे इन आंखों मे तेरी सूरत क्यों हैं
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