Friday, July 25, 2008

23rd july opening poem

मैंने कब कहा कि वो जिंदगी मेरे नाम करे
बस मुझे समझे इतना सा मेरा काम करे
हर रोज़ कुछ लम्हे मुझे .....
मुझे अच्छा लगता हैं तेरे संग संग चलना
मैंने कब कहा कि तू रोज़ मेरे साथ चले
कभी कभी रूठ जाना तेरा मुझे अच्छा लगता हैं
मैंने कब कहा कि तू जब मुझे देखे देखती रहे
मुझे अच्छा लगता हैं ...................
मैंने कब कहा कि तू रोज़ मुझे देखे
जवाबो मे तेरे सवालो मे तेरे
मोहब्बत के सब अल्फाजो मे तेरे
बस अपनी जिंदगी ............................
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