Sunday, July 13, 2008

5th july closing poem

तेरा ख्याल दिल से मिटाया नही अभी
बेदर्दी मे भी तुझको भुलाया नही अभी
कल तुने मुस्कुराके जलाया था ख़ुद जिसे
सीने का वो टुकडा अब तक छुपाया नही अभी
मुझे आज भी बांहों की तेरी याद हैं
चौखट से तेरी सर को उठाया नही अभी
बेहोश होके भी तुझे फ़िर होश आ गया
मैं बदनसीब होश मे आया नही अभी

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