अब कुछ कहा जाता नही
दूर कोहरे मे कुछ नज़र आता नही
लोगो का मिलना कुछ पल मुस्कुराकर भूल जन
अब मेरे मन मे कोई समाता नही
एक पल मे किसी का मिलना
एक पल मे दूर हो जाना
तन्हाईयां देता हैं पर
दिल का ये दर्द अब मुझसे सहा जाता नही
तुम्हारे लिए ना रोयेंगे हम
सोच लिया था हमने
फिर इन बूंदों को आंखों से बहते हमसे रोका जाता नही
आप रेडियो के उस तरफ़ हमे सुनते हैं
देखना चाहता हूँ आप सबको
पर कोई चेहरा नज़र हमे आता नही
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