मेरे हाथो की हथेली की लकीरों से वो निकल निकल गया
मेरी हथेली को वो सुना कर गया
कमबख्त दिल अपना तो ले गए
लेकिन मेरे दिल पे एक निशान लगा गया
मैं उस मन्दिर के बहार आज भी खड़ा होता हूँ
जहाँ उसने एक दिन प्यार से सर झुका लिया
दूर होकर भी उसने अहसासों का एक दिया rओज पूजा घर मे जला लिया
वो तो मरहम न लाया मेरे हाथ के लिए
मैंने माचिस जलाते जलाते अपना हाथ जला लिया
लोग आज भी मुझे देख कर यही कहते हैं कि
शहर को दीवाना बनता हैं ये
इस दीवाने को किसी ने अपना दीवाना बना दिया
2 comments:
bhaya badiya likhyooooooooo
chaa gya h mundeya
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